स्वदेशी दशमूल क्वाथ - सूजन, बुखार और दोष संतुलन के लिए आयुर्वेदिक उपाय
स्वदेशी दशमूल क्वाथ के प्रमुख लाभ:
इसमें सूजनरोधी, ज्वरनाशक, एंटीऑक्सीडेंट, आमवात रोधी, दर्द निवारक, शामक और कष्ट निवारक गुण होते हैं। यह नसों को आराम पहुँचाने में मदद करता है और शरीर में आवश्यक पोषण प्रदान करके सूजन को कम करता है। यह दूषित वातदोष को शांत करता है।
- सूजनरोधी : शरीर में जलन और सूजन को कम करता है।
- ज्वरनाशक : बुखार को कम करने और संबंधित लक्षणों के प्रबंधन में मदद करता है।
- एंटीऑक्सीडेंट : शरीर को ऑक्सीडेटिव तनाव और सेलुलर क्षति से बचाता है।
- एनाल्जेसिक : दर्द और परेशानी से राहत प्रदान करता है।
- शामक : तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और विश्राम को बढ़ावा देता है।
- आमवातरोधी : आमवात के कारण होने वाले जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द से राहत दिलाने में प्रभावी।
- त्रिदोष को संतुलित करता है : वात, पित्त और कफ दोषों में सामंजस्य स्थापित करता है, जिससे समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।
- वात दोष को शांत करता है : बढ़े हुए वात से जुड़ी स्थितियों, जैसे सूजन और तंत्रिका तंत्र विकारों को प्रबंधित करने में मदद करता है।
उत्पाद वर्णन
स्वदेशी दशमूल क्वाथ एक शास्त्रीय आयुर्वेदिक सूत्रीकरण है जो तीनों दोषों-वात, पित्त और कफ को संतुलित करने के लिए बनाया गया है, जो इसे एक प्रभावी त्रिदोष नाशक बनाता है। दशमूल के रूप में जानी जाने वाली दस औषधीय जड़ों का यह अनूठा मिश्रण विशेष रूप से सूजन की स्थिति या वात-संबंधी विकारों ( वात व्याधि ) के प्रबंधन में फायदेमंद है।
दशमूल क्वाथ को सूजन, जलन और बुखार को कम करने और शरीर को आराम देने की अपनी क्षमता के लिए अत्यधिक जाना जाता है। इसकी शक्तिशाली जड़ी-बूटियाँ दर्द से राहत दिलाने, तंत्रिका तंत्र को शांत करने और शरीर को बीमारियों से उबरने में मदद करने के लिए आवश्यक पोषण प्रदान करने के लिए तालमेल से काम करती हैं। प्राकृतिक अवयवों का यह बुद्धिमान संयोजन इसे समग्र स्वास्थ्य और जीवन शक्ति बनाए रखने के लिए एक मूल्यवान उपाय बनाता है।
स्वदेशी दशमूल क्वाथ का उपयोग कैसे करें:
- दशमूल क्वाथ की 10-15 मिलीलीटर मात्रा दिन में एक या दो बार लें।
- आमतौर पर इसे भोजन के बाद लेने की सलाह दी जाती है।
- यदि आवश्यक हो तो आप सेवन से पहले इसमें बराबर मात्रा में पानी मिला सकते हैं।
सामग्री सूची:
शास्त्रीय तैयारी
मुख्य घटक:
दशमूल
- क्षुद्र पंच मूल (सारिवन, पिथवन, बड़ी कटेरी, छोटी कटेरी और गोखरू) और महत पंच मूल (बिल्व, अग्निमंथा, श्योनाक, कश्मीरी और पाताल) का संयोजन।
- यह शरीर में जलन और सूजन को कम करता है।